उत्तराखण्ड के स्थानीय वाद्य संगीत-यंत्र By Anand Singh Rawat



उत्तराखण्ड के स्थानीय वाद्य संगीत-यंत्र



उत्तराखंड  का संगीत और नृत्य दोनों ही  बहुत वर्षो से ही चलें आ रहें ही हैं। हमारा संगीत वाद्य यंत्र के बिना अधूरे हैं। हमारे उत्तराखंड में लगभग ३६ या ३७ वाद्य यंत्र है। हमारे उत्तराखंड में ऐसा कोई भी पर्व नहीं होगा जिसमें  हम लोग ढोल - दमाऊुँ या फिर किसीअन्या  वाद्य यंत्र का इस्तेमाल नहीं करें।  उत्तराखंड की तो बात ही अनोखी है इसकी  हवा में हमारी संस्कृति झलकती है। 

वाद्य यंत्र इस प्रकार है। 

  1. घन वाद्य यंत्र : वीणाई, कांसे की थाली, मजीरा, घाना/घानी, घुँघरू, केसरी, झांझ, घण्ट, करताल, ख़ंजरी, चिमटा।
  2. चार्म  वाद्य यंत्र : हुड़का, डौंर, हुड़क, ढोलकी, ढ़ोल, दमाऊँ, नगाड़ा, घतिया नगाड़ा, डफ़ली, डमर।
  3. सुषिर ( मुख से बजाने वाले ) वाद्य यंत्र  : मुरुली, जौया मुरुली, भौकर/भंकोरा, तुरही, रणसिंहा, नागफणी, शंख:-, उधर्वमुखी नाद, मशकबीन।
हमारे उत्तराखंड में ऐसा कोई भी पर्व नहीं होगा जिसमे हम लोग ढोल - दमाऊुँ या फिर किसी आया वाद्य यंत्र का इस्तेमाल नहीं करें।  उत्तराखंड की तो बात ही अनोखी है इसकी  हवा में हमारी संस्कृति झलकती है। 



ढ़ोल -दमाऊँ

ढ़ोल उत्तराखंड का सबसे प्रमुख यंत्र है।  
ढ़ोल ताम्बे और साल की लकड़ी से बना रहता है।  
 इसके बाये तरफ़  (खाल) पर बकरी की और दाई तरफ (खाल) पर भैस या बारहसिंगा की खाल चढ़ी  होती है ।
ढ़ोल सबसे पहले युद्ध  में  प्रयोग किया था। ढ़ौल-दमाऊँ साथ-साथ  बजाए जाते हैं।



दमाऊँ : पहले इसका उपयोग युद्ध वाद्यों के साथ किया जाता था।  
तांबे का बना यह वाद्य-यंत्र   8 इंच गहरे गोल आकर के सामान होता है । इसका मोटे चमड़ा  खाल से बना होता है।  

ढौलकी या फिर ढोलक



त्यौहारों के अवसर पर इसका प्रयोग अधिकतर किया जाता है। ढोलक बकरी की  खाल से बना रहता है । इसकाकुछ हिस्सा लकड़ी का भी बना रहता है।  यह गढ़वाली संगीत में बहुत बजाया जाता है।  


हुड़की


हुड़की बजाने  में बहुत ही हलकी होती है।  और बजने में बहुत ही आसान होती है।  हुड़की का सबसे ज्यादा प्रयोग जागर में होता है।  हुड़की को बजाने का तरीका अलग होता है इसे हम दाये हात से बजाते है। इसका प्रयोग देवी देवताओ को नचाने भी होता है।  



ध्यान दे : यह जानकारी मैने इंटरनेट पे पढ़ी है। और फिर ये सब जानकारी मैंने अपने विचारों में लिखी है। 
कुछ विचार मैंने अपनी तरफ़ से भी डाले हैं। 

ब्लॉग राइटर : आनंद सिंह रावत 

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